Wednesday, September 12, 2012

जीना सीख लिया.............सुरेश पसारी "अधीर"

इक सीख ना सकें, हम तुम्हे भुलाना,
हमने खुद को, भुलाना सीख लिया।

अपनी खुशियाँ , हम छिपा ना सके,
इक ग़म को, छिपाना सीख लिया।

नहीं सीख सके, तुम्हे अपना बनाना
पर जग अपना, बनाना सीख लिया।

कभी तुमसे प्यार, हम जता ना सके,
पर दुनिया से, जताना सीख लिया।

सीख ना सकें हम, बस तन्हा रहना,
इक तेरी यादों मे, जीना सीख लिया।

बस अपना जीवन, हम जी ना सके,
तेरी खुशियों मे, जीना सीख लिया।



- सुरेश पसारी "अधीर"

4 comments:

  1. जीने के बहाने लाखों हैं
    जीना तुझको आया ही नहीं
    कोई भी तेरा हो सकता है
    कभी तूने अपनाया ही नहीं
    ................................................
    हमे भी तो जीना नहीं आया भाई साहब...
    अच्छी लगी रचना ....

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  2. शुक्रिया राहुल
    सुरेश मेरे फेसबुक मित्र हैं

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  3. उम्दा रचना |बहुत खूब...सिखाया है,सुरेश जी ने |

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  4. आभार मन्टू भाई
    सुरेश मेरे फेसबुक में मित्र हैं

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