Monday, December 22, 2014

‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’ ......................अटल बिहारी वाजपेयी













कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और—
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।

किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में—
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

आज,
जब कि राष्ट्र-जीवन की
समस्त निधियाँ,
दाँव पर लगी हैं,
और,
एक घनीभूत अंधेरा—
हमारे जीवन के
सारे आलोक को
निगल लेना चाहता है;

हमें ध्येय के लिए
जीने, जूझने और
आवश्यकता पड़ने पर—
मरने के संकल्प को दोहराना है।

आग्नेय परीक्षा की
इस घड़ी में—
आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’ 


-अटल बिहारी वाजपेयी


 प्राप्ति स्रोतः रसरंग

माननीय अटल बिहारी वाजपेयी
(पूर्व प्रधान मंत्री, कवि) 

जन्मः 25 दिसम्बर 1926
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
प्रमुख कृतियाँ
मेरी इंक्यावन कविताएँ, न दैन्यं न पलायनम्, 
मृत्यु और हत्या, अमर बलिदान.
भाषाः हिन्दी 


3 comments:

  1. भावपूर्ण ... उत्कृष्ट रचना ...

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  2. धन्यवाद इस सुंदर रचना को पढवाने का।

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