Saturday, June 17, 2017

खुज़ली



होती है
अजीबो गरीब
खुजली

किसी को भी
कहीं भी
हो सकती है
खुज़ली

जब चाहो
जहाँ चाहो
कर लो
खुज़ली..

आदमी ही नहीं
जानवरों को भी
होती है 
खुज़ली

और तो और
गणमान्य लोगों
को भी होती है
खुज़ली

ज़बान उनकी
हरदम
खुजलाते रहती है
उसी खुज़ली को
निरख

मीडिया वालों को भी
होने लगती है
खुज़ली

जहाँ-तहाँ
खुज़ला डालते हैं
उन्हें नही लगता
डर..

देखा-देखी..
अन्य चैनल भी
नहीं होते 
हुए भी
नमक-मिर्च
डालकर
पैदा कर लेते
खुज़ली

उसी खुज़ली 
के चलते
हो जाता है
हंगामा 

हंगामे के
दौरान
चलती हैं 
गोलिंया भी

और सरकार..
गोली खाने 
वाले को...
स्वादिष्ट
मरहम लगा
देती है


क्या गया
सरकार का
खुज़ली तो 
खुज़ली ही है

कभी भी 
कहीं भी
किसी को भी
हो सकती है
खुजली..

लोगों को
इन्तज़ार है
दूसरी 
खुज़ली का

मन की उपज
यशोदा









5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-06-2017) को गला-काट प्रतियोगिता, प्रतियोगी बस एक | चर्चा अंक-2646 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह!!!
    खुजली के माध्यम से समाज की सच्चाई उकेरती रचना.....

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  3. वाह
    कमाल की ये खुजली
    सच्चाई को व्यक्त करती है ---

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