Sunday, February 4, 2018

हुई सुबह मुट्ठी में भर लेंगे नया आकाश ....श्रीमती मधु सिंघी

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हुई सुबह 
मुट्ठी में भर लेंगे 
नया आकाश । 

उषा किरण 
होता नव सृजन
मन प्रसन्न । 

मुझमें बेटी 
सदा प्रतिबिंबित 
छवि इंगित ।

तपती धूप
वृक्ष की घनी छाँव 
देती ठंडक ।

सजाई अर्थी 
राग ,द्वेष व दंभ/ 
सधा जीवन । 

प्रीत के रंग 
अपनों का हो संग
मन मृदंग। 

-श्रीमती मधु सिंघी, 
हाइकु कवयित्री 
प्रस्तुति:- प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

2 comments:

  1. सुंदर हाइकु अध्यात्म रंग से आच्छादित।

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  2. बढ़िया हाइकु

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